Jolly Uncle - Motivational Writer

Search This Blog

Followers

Tuesday, August 2, 2011

खानापूर्ति

’’ खानापूर्ति ’’

मसुद्वी लाल जी घर का कुछ जरूरी समान लेने के लिए बाजार की और निकले ही थे कि रास्ते में उन्हें मालूम पड़ा कि पड़ोस में रहने वाली मौसी का देहान्त हो गया है। वैसे तो मसुद्वी लाल को मुहल्ले की यह चुगलखोर नाम से महषूर मौसी एक आंख भी न भाती थी लेकिन आज अब दिखावे के लिए ऊपरी मन से खानापूर्ति करने के लिए बाजार का रास्ता छोड़ कर सीधा मौसी के घर उसकी मौत पर अफसोस करने जा पहुंचे। सिर्फ मसुद्वी लाल ही नही मुहल्ले के सभी लोग मौसी को देखते ही कतराकर निकलने में अपनी भलाई समझते थे। हर कोई जानता था कि अगर एक बार मौसी के पास नमस्ते करने के लिये भी रूक गये तो फिर मौसी उसे तब तक नही छोड़ेगी जब तक वो सारे मुहल्ले की खबरों को अच्छे से नमक मिर्च लगा कर न सुना ले।

मौसी के घर में घुसते ही वहां बैठे सभी लोगो के बीच मसुद्वी लाल जी ने लीपापोती करने की मंषा से अपना चेहरा ऐसे लटका लिया जैसे मौसी के जाने का सबसे अधिक दुख उन्हीं को ही हो। सभी लोग एक दूसरे से कुछ न कुछ मौसी की अच्छाईयों के बारे में बातचीत कर रहे थे। परंतु मसुद्वी लाल जी किसी बात पर ध्यान देने की बजाए उसे एक कान से सुनकर दूसरे से निकाले जा रहे थे। चंद क्षण किसी तरह चुप बैठने के बाद मसु़द्वी लाल जी ने मौसी के बेटे से पूछा कि सुबह तक तो ठीक ठाक थी फिर यह सब कुछ अचानक क्या हो गया मौसी जी को? इससे पहले कि मौसी का बेटा उनकी मौत के बारे में कुछ बताता मसुद्वी लाल जी ने कहा कि जरा पानी तो मंगवा दो, बहुत गर्मी लग रही है। जैसे ही एक लड़का इनके लिये पानी का गिलास लेकर आया तो उसे देखते ही बोले कि यह तो बहुत गर्म है, घर में बर्फ वगैरहा नही है क्या? थोड़ी बर्फ ही मंगवा लेते। पंखा भी नही चलाया आप लोगो ने, कम से कम पंखा तो चला देते। सभी लोग मसुद्वी लाल की और ढेड़ी नजरों से देखने लगे कि यह इस तरह के दुखद मौके पर भी कैसी अजीब बाते कर रहे है।

मसुद्वी लाल जी फिर मौसी के बेटे से बोले कि तुमने बताया नही कि क्या हुआ था मौसी जी को? उनके बेटे ने कहना षुरू किया कि बस ऐसे ही घर में चल फिर रही थी कि। मसुद्वी लाल ने बीच में ही उसे टोकते हुए कहा क्यूं कुछ घर का काम काज नही करती थी। बेटे ने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि नही मेरा मतलब यह नही था, दिन में खाना खाया और सो गई थी। मसुद्वी लाल जी ने कहा क्यूं खाना खाते-खाते ही सो गई थी क्या? बेटे ने बात साफ करते हुए कहा नही जी थोड़ी देर बाद सोई थी। मसुद्वी लाल जी ने उसे टोकते हुए कहा बेटा ठीक से सारी बात बताओ न, तुम तो मुझे भी खामख्वाह कन्फूज कर रहे हो। इसी के साथ मसुद्वी लाल जी ने मौसी के बेटे से पूछ लिया कि तुम्हारे पिता जी दिखाई्र नही दे रहे, वो कही गये हुए है? मौसी के बेटे ने बताया कि पिता जी को तो हार्ट-अटैक आया था वो तो पिछले 15-20 दिन से अस्पताल में दाखिल है।

मसुद्वी लाल जी ने हैरान-परेषान होते हुए कहा कि आप भी कमाल करते हो, मुझे आज तक किसी ने बताया ही नही, कम से कम मैं एक बार उनसे मिल तो आता। चलो अब उनको अफसोस करने अस्पताल तो जाना ही पड़ेगा, साथ ही उनका हाल भी पूछ आऊगा। इसी के साथ मसुद्वी जी बोले कि देखो जी जिसे हार्ट-अटैक से मरना था वो तो अस्पताल में बैठा अपना इलाज करवा रहा है और जो ठीक-ठाक थी वो हम सब को छोड़ कर चली गई। वैसे मेरा तुम्हारी मां से बहुत प्यार था, पूरे मुहल्ले में नंबर वन थी तुम्हारी मां। तुम्हारी मां के बिना मेरा दिल नही लगना इस मुहल्ले में। मौसी के बेटे ने जैसे ही घूर कर देखा तो मसुद्वी लाल जी ने पासा पलटते हुए कहा कि मुझे तो वो अपना छोटा भाई मानती थी, बहुत प्यार करती थी मुझें। महौल को बिगड़ता देख मुसद्वी लाल ने सभी को हाथ जोड़ कर वहां से खिसकना ही उचित समझा। जाते-जाते घरवालों से पूछने लगे कि अब इस मुर्दे को कितने बजे घर से निकालना है, मैं फिर उसी समय आ जाऊगा।

मुसद्वी लाल के जाते ही वहां बैठे लोगो में कुछ बोलने लगे कि इनके अपने घर में तो कोई इनकी बात तक नही पूछता और दूसरों के यहां आकर यह बाल की खाल निकालने से बाज नही आते। मुसद्वी जी तो बिना सोचे विचारे ऐसे बोले जा रहे थे जैसे कोई पागल बिना लक्ष्य के गोली चलाता हो। इन सज्जन की बात सुनते ही मौसी के बेटे ने इषारे से चुप करवाते हुए कहा कि इसी लिये हमारे बर्जुग कहते है कि जिंदगी में रिष्ते निभाना उतना ही मुष्किल होता है जितना हाथ में लिए हुए पानी को गिरने से बचाना। इससे भी बड़ा सच तो यह है कि हर इंसान जिंदगी भर दो चेहरे नही भूल पाता एक जो मुष्किल समय में आपका साथ देते है और दूसरा जो मुष्किल समय में आपका साथ छोड़ जाते है। जौली अंकल सभी लोगो के रंग-ढंग पहचानाने की कोषिष में इतना ही जान पायें है कि एक दूसरे के बारे में बाते करने की बजाए यदि हम एक दूसरे से ढंग से बात करें तो बहुत हद तक हमारी आपसी परेषनियां तो खत्म होगी ही वही खानापूर्ति जैसे समाजिक ढ़ोंग से भी छुटकारा मिल पायेगा।

’’जौली अंकल’’

असली नकली - जोली अंकल का रोचक लेख

’’ असली नकली ’’

जैसे ही हवाई जहाज ने दिल्ली के एयरपोर्ट की धरती को छुआ तो नटवर लाल ने चैन की सांस लेते हुए कहा कि भगवान तेरा लाख-लाख षुक्र है। अभी नटवर लाल की यह दुआ पूरी भी नही हुई थी कि पुलिस वालों ने उसे चारों और से घेर लिया। पुलिस अफसरों ने जैसे ही उसका सामान चैक किया गया उसमें से लाखों रूप्ये के नकली नोट बरामद हो गये। अगले ही पल उसे सरकारी मेहमान बना कर पुलिस की गाड़ी से जज साहब के सामने पेष कर दिया गया। नटवर लाल को गौर से देखते हुए जज साहब ने पूछा कि तुमने यह नकली नोट क्यूं बनाए? नटवर लाल ने हाथ जोड़ कर प्रार्थना करते हुए कहा जज साहब मैने तो इस बार सारे नोट बिल्कुल असली बनाने की पूरी कोषिष की थी, लेकिन न जानें पुलिस वालों को यह किस कमी के कारण नकली लग रहे है। इसी दौरान जज साहब ने अपनी याददाष्त पर थोड़ा जोर डाला तो उन्हें याद आया कि नटवर लाल तो पहले भी नकली नोट बनाने के जुर्म में सजा काट चुका है। इससे पहले कि जज साहब कुछ और कहते नटवर लाल ने कहा जी हजूर उस समय तो मेरे से ही नकली नोट बनाने में गलती हो गई थी। मैने अपनी बीवी की जिद्द को मानते हुए बापू की फोटो लगाने की बजाए अपने बेटे की फोटो लगा दी थी। इससे पहले कि जज साहब नटवर लाल को सजा सुना कर जेल भेजने का आदेष देते, नटवर लाल ने सीने में बहुत जोर से दर्द होने की नौंटकी षुरू कर दी। जज साहब को भी मजबूरन पुलिस वालों को कह कर इसे फौरन अस्पताल में भर्ती करने का आदेष सुनाना पड़ा।

अस्पताल के बिस्तर पर नटवर लाल को लिटाते हुए डाॅक्टर साहब ने उससे पूछा कि कहां-कहां दर्द हो रहा है? अब असल में कोई तकलीफ तो थी ही नही तो नटवर लाल डाक्टर साहब को क्या बताता कि दर्द कहां हो रहा है? बात को और अधिक उलझाने के मकसद से नटवर लाल ने कहा कि डाॅक्टर साहब एक जगह दर्द हो तो आपको बताऊ। इसी के साथ नटवर लाल ने चंद नोट डाॅक्टर साहब की हथेली पर रखते हुए कहा कि आप कुछ देर के लिये पुलिस वालों के सामने अंधे बन जाओ, बाकी सब मैं खुद ही संभाल लूंगा। डाॅक्टर साहब ने नटवर लाल को कुछ भी उल्टा सीधा कहने की बजाए इतनी राय जरूर दे डाली कि यदि वास्तव में कोई तकलीफ हो रही है तो किसी अच्छे से प्राईवेट अस्पताल में इलाज करवाना। हमारे यहां तो दवाईयों से लेकर डाॅक्टर तक तुम किसी पर भी भरोसा नही कर सकते कि कौन असली है और कौन नकली। तुम यहां रह कर कुछ भी करो बस इस बात का ध्यान रहे कि मेरी नौकरी पर उंगली नही उठनी चाहिए। डाॅक्टर के चेहरे के हाव-भाव को देखते ही नटवर लाल समझ गया कि यह भी कुछ न कुछ गौरख धंधे की बदोलत ही डाॅक्टर बना बैठा है, नही तो यह आदमी इतनी जल्दी चंद रूप्यों के लिए अपना ईमान नही बेचता।

अस्पताल के बिस्तर पर लेटे-लेटे नटवर लाल ने सामने पड़ी अखबार उठाई तो उसमें कई चैकानें वाली खबरें छपी हुई थी। कुछ दगाबाजों ने तो नकली इन्कमटैक्स अफसर बन कर एक गहनों की दुकान को ही लूट लिया था। कुछ ढ़ोंगी कलाकारों के बारे में छपा था कि वो फिल्मों में नकली ढाड़ी मूछ लगा कर दुनियां को धोखा दे रहेे है। आजकल तो यहां तक भी देखने में आ रहा है कि कुछ लोग अपनी षक्ल और बालो को रंग-रूप बदल कर खुद को डुप्लीकेट हीरो हीरोईन की जगह असली की तरह ही पेष करने लगे है। नटवर लाल ने अस्पताल में आते जाते मरीजों को बड़ी ही हैरानगी से देखते हुए सोचा कि मैं तो सिर्फ नकली नोटो का कारोबार करता हॅू परंतु इस अस्पताल में तो कोई नकली टांग लगा कर घूम रहा है, कोई नकली आंख लगवाने आया हुआ है। नकली दांत लगवाने वालों की लाईन तो न जाने कहां तक जा रही थी। जैसे ही नटवर लाल के नकली नोटो के साथ पकड़े जाने की खबर मीडिया में आई तो जज साहब को उसे वहां भेजने का आदेष देना पड़ा जहां से नटवर लाल नकली नोट लेकर आया था।


कहचरी से निकलते हुए नटवर लाल ने हंसते हुए जज साहब से कहा कि बचपन से ही सुनते आये है कि घोड़ी चाहे लकड़ी की हो घोड़ी तो घोड़ी ही होती है। इसी तरह डिग्री असली हो या नकली डिग्री तो डिग्री ही होती है। हमारे मंत्री असली तो क्या नकली डिग्री के बिना ही देष की सरकार को बरसों से चला रहे है, उन्हें तो कोई कुछ नही कहता। हर कोई जानता है कि इन लोगो की बातो में सिर्फ दिखावा और प्यार में छलावा होता है। ऐसे लोग जब कभी आसूं भी बहाते है तो वो भी नकली खारे पानी के होते है। आप मुझे अकेले को सजा देकर क्या सुधार कर लोगे। इस दुनियां में असल बचा ही क्या है सब कुछ नकली ही रह गया है। जिस हवाई जहाज से नटवर लाल को भेजने का प्रबंन्ध किया गया उसके उड़ने से पहले ही यह मालूम हुआ कि इस जहाज का पायलट भी नकली है। पुलिस की अपराध षाखा ने बताया कि इस पायलट ने जाली दस्तावेज जमां करवा कर नकली पायलट का लाइसेंस हासिल किया था।

जौली अंकल का तो यही मानना है कि नकली वस्तुओं का व्यापार करने वाले चाहे किसी भी भेस में हो एक सभी एक ही थैली के चट्टे के बट्टे है। आज यदि हमें पूरी कीमत देकर भी हर चीज नकली मिल रही है तो उसका एक ही कारण हेै कि हम लोग खुलकर ऐसे दोशियों के खिलाफ आवाज नही उठाते। नकली वस्त्ुओ का कारोबार करने वालों के मन में मानवता के प्रति कोई दया नही होती इसलिये ऐसे लोगो को मानव कहना ही गलत है। हर नकली चीज को असली बना कर अमीर बनने वालो को यह नही भूलना चाहिये कि अमीर वो नही जिसके पास बहुत धन है या जिसने बहुत धन जमा किया हो। असली अमीर तो वो है जिसे और अधिक धन की जरूरत नही रहती। जिसे हर समय धन की भूख रहती हो वो तो सदा निर्धन ही कहलाता है। छल, कपट, बेईमानी और धोखा देकर चाहे कोई लाख कोषिष कर ले लेकिन असली सदा असली और नकली हमेषा नकली ही होता है।

’’ जौली अंकल ’’