’’ फारेन रिटर्न्ड ’
आजकल आप किसी भी दफतर में फोन लगाऐं तो पहले की तरह किसी मधुर भाशी स्वागती कन्या की आवाज की जगह कम्पयूटर की झनझहाट भरी आवाज सुनाई देती है। कुछ दिन पहले एक सज्जन ने षादी ब्यूरों में कुछ जानकारी लेने के लिये फोन लगाया तो उधर से आवाज आई कि रिष्ते की बात करने के लिये कृप्या एक दबाएंे, सगाई से जुड़ी बातचीते के लिये दो दबाऐं, षादी की जानकारी के लिये तीन दबाऐ। उस मनचले ने मजाक में कह दिया यदि दूसरी षादी करनी हो तो क्या दबाऐ? झट से कम्पूयटर ने जवाब दिया कि उसके लिये आप अपनी पहली बीवी का गला दबाऐं। बाकी सभी धंधो में दलालों की तरह षादी के यह दलाल भी अपने काम में इतने माहिर होते है कि एक बार कोई इनकी गली से गुजर जाऐ तो यह तब तक उसका पीछा नही छोड़ते जब तक दुल्हे को सेहरा या दुल्हन के हाथ पीले न हो जाये।
देसी दुल्हों के मुकाबले फारेन रिटर्न्ड दुल्हों की हमारे देष में सदा से भारी मांग रही है। विदेषी दुल्हा चाहें उंम्र के किसी भी पढ़ाव का हो। यहां तक की कई बार तो ऐसे दुल्हों के मुंह में दांत और पेट में आंत तक नही होती परन्तु विदेष से लौटते ही उसका स्वागत फूल मालाओं के साथ-साथ ढ़ोल धमाके के साथ किया जाता है। गांव के अधिकांष लोग अपने सभी जरूरी काम काज छोड़ कर उस फारेन रिटर्न्ड के स्वागत की तैयारीयों में लग जाते है। फारेन रिटर्न्ड लोगो को जहां एक तरफ रिष्तेदार-दोस्तो का भरपूर प्यार मिलता है, वहीं दूसरी और डालर में कमाई करने वाले से अपनी लड़की का रिष्ता करने वालों की एक लंबी कतार लग जाती है।
ऐसे लोगो का काम हमारे यहां रिष्तो की दलाली करने वाले और भी आसान कर देते है। षादी से जुड़े हर प्रकार के सामान के साथ यह लोग रिष्तेदारो का भी किराये पर मंगवाने का इंतजाम कर देते है। यदि कोई मां-बाप कभी गलती से लड़के की योग्यता, आमदनी या घर-बाहर के बारे में कुछ पूछ ले तो षादी करवाने में निपुण दलाल हर सवाल का एक ही जवाब देते है कि आप कमाल कर रहे हो। लड़का फारेन रिटर्न्ड है, और आप न जाने किस प्रकार के सदेंह में पड़ते जा रहे हो। अगर आप को लड़के की काबलियत पर कोई षक है, तो आप यह रिष्ता रहने ही दो। मैने तो आपको अपना समझ कर आपके भले की सोची थी। ऐसी चंद उल्टी-सीधी बातों में लड़की वालों को उलझा कर यह दलाल लोग होटल में दरबान की नौकरी करने वाले को उस होटल का मालिक बना कर रिष्ता पक्का करवा ही देते है।
आज अग्रेजों को भारत छोड़े एक जमाना हो चुका है। फिर भी न जानें हमारे टैक्सी ड्राईवर से लेकर फाईव स्टार होटल वाले अधिकतर लोग आज भी गोरी चमड़ी वालो को देखते ही सर-सर कह कर दुम क्यों हिलाने लग जाते है? गोरी चमड़ी वाला कहां से आया है, उसका उस देष में क्या रूतबा है, इसके बारे में सोचना तो दूर हम जानने तक की कोषिष नही करते। गोरे लोगो की बात तो छोड़ो यदि हमारे गांव का कोई व्यक्ति चार-छह महीने विदेष के किसी होटल में दरबान की या सफाई कर्मचारी की नौकरी कर के जब देष वापिस लौटता है तो हम लोग झट से उसके नाम के साथ फारेन रिटर्न्ड का तगमा लगा देते है।
यह तगमा अपने देष में अच्छे से अच्छे पढ़े लिखे लोगो की डिग्रीयों से कहीं अधिक भारी और चमकदार होता है। फारेन रिटर्न्ड तगमें की चमक इतनी चमकीली होती है कि हमें उसके आगे कुछ दिखाई ही नही देता। आपस में चाहे सारा दिन गाली गलौच करते रहे, लेकिन ऐसे लोगो के सामने हर कोई बड़ी ही संजदीगी से पेष आता है। अब यदि फारेन रिटर्न्ड का ताल्लुक किसी गांव से है, तो सोने पर सुहागे वाली कहावत अपनी चमक पूरी तरह से दिखाने लगती है। जरा गौर से देखो, कि अब फिजा बदल रही है। दुनियां में सबसे ताकतवर देष के राष्ट्रपति न सिर्फ हमारे देश के प्रधानमंत्री से लेकर साधारण बच्चो की तारीफ कर रहे है बल्कि दबी जुबान से अपने देष के बच्चो को दुसरे देषो के मुकाबले पिछड़े होने की चेतावनी भी दे रहे है। समय की मांग है कि हम अपने अतीत को भूल कर यह विचार करे की वर्तमान में हमें अब क्या करना है, क्योंकि दुनियां में वास्तविक सम्पति धन नही मन की प्रसन्नता होती है।
जौली अंकल से इस बारे में पूछे तो यही जवाब मिलेगा कि बेवकूफ की सबसे बड़ी अक्कलमंदी खामोषी है और अक्कलमंद का ज्यादा देर खामोष रहना बेवकूफी होता है। जिस मामले में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार आप को है, उस में भी रायमषविरा करने में कोई हर्ज नही होता। किसी विषय के बारे में पूरी जानकारी न होने से अधिक षर्म की बात यह होती है कि उस बारे में पूरी जानकारी न लेना। धन के लालच में बच्चो की खुषियों को कुर्बान करने को तो आप भी अक्कलमंदी नही कहेंगे, फिर चाहे दुल्हा फारेन रिटर्न्ड ही क्यूं न हो?
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