Jolly Uncle - Motivational Writer

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Thursday, September 8, 2011

’’ हास्य दिवस ’’

’’ हास्य दिवस ’’

नेता जी अपने दफतर में दाखिल होते ही बिना किसी को दुआ सलाम किए हुए प्रसाधन कक्ष की और दौड़ गये। पास बैठे एक सज्जन ने कहा कि नेता जी को क्या हुआ अभी तो घर से तरोताजा होकर आये है और आते ही फिर से प्रसाधन कक्ष में घुस गये है। उनके सेैक्ट्री ने कहा कि अभी दफतर में बैठते ही कई किस्म के ऊपर से प्रेषर आने षुरू हो जाते है, इसी के साथ यदि कोई दूसरे प्रेषर भी बन जाये तो नेता जी को काम करने मेें बहुत कठिनाई होती है, इसीलिये वो काम षुरू करने से पहले अपने आप को हल्का करके ही बैठते है। जैसे ही नेता जी वापिस अपनी सीट पर आकर बैठे तो उनके सेैक्ट्री ने कहा कि हास्य दिवस के मौके पर इलाके के कुछ लोग प्रसन्नता, मुस्कुराहट एवं हास्य पर अधारित एक अनूठे कार्यक्रम का आयोजन कर रहेे है। उनका अनुरोध है कि आप इस खास मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में आकर आम जनता को हास्य के बारे जानकारी देते हुए इसके गुणों से अवगत कराऐं। जिससे कि आम आदमी आज के इस तनाव भरे दौर में हंसी-खुषी या यूं कहिए कि लाफ्टर थरैपी का भरपूर फायदा उठा सके। हालिक नेता जी को इस विशय के बारे में कुछ अधिक ज्ञान तो था नही परंतु उन्होनेे चुनावों के मद्देनजर अपनी लोकप्रियता बढ़ाने की चाह में झट से न्योता स्वीकार करते हुए मुख्य अतिथि बनने की हामी भर दी।

अगले दिन जब नेता जी हास्य के इस कार्यक्रम के लिये तैयार होकर घर से निकले तो उन्हें ध्यान आया कि उनके सेैक्ट्री ने इस मौके के लिये भाशण तो लिख कर दिया ही नही। अब नेता जी दुनियां को हास्य के महत्व को बताने से पहले खुद ही बुरी तरह से तनाव में आ चुके थे। एक बार उनके मन में आया कि अपने किसी कर्मचारी से फोन पर हास्य के बारे में बात करके अच्छे से जानकारी ले ली जाये। लेकिन फिर नेता जी को लगा कि अपने ड्राईवर के सामने अगर वो किसी कर्मचारी से इस बारे में बात करते है तो यह गंवार ड्राईवर क्या समझेगा कि मैं हास्य में बारे में कुछ जानता ही नही। इसी के साथ सड़क पर टैªफ्रिक जाॅम के कारण उनकी परेषानी एवं घबराहट और अधिक बढ़ने लगी थी। जैसे-जैसे कार्यक्रम में पहुंचने के लिये देरी हो रही थी, नेता जी की टेंषन भी उसी तेजी से बढ़ती जा रही थी। उनके मन में बार-बार यही आ रहा था कि गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस आदि के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी तो है लेकिन यह हास्य दिवस क्या बला है? यह कब और किस ने षुरू किया, इस बारे में तो कभी कुछ देखने-सुनने को नही मिला। मुझे लगता है कि फादर डे, मदर डे और वैलेटाईन्स डे की तरह इसे भी जरूर किसी अग्रेंज ने षुरू किया होगा। मैने भी न जानें बिना सोचे-समझे इस कार्यक्रम के लिये हां करके मुसीबत मोल ले ली।

नेता जी का ड्राईवर कार में लगे हुए छोटे से षीषे में उनके चेहरे के हाव-भाव को अच्छे से समझ रहा था। उसने कहा सर, अगर आपकी इजाजत हो तो मैं इस बारे में कुछ कहूं। नेता जी ने कहा कि तुम ठीक से अपनी गाड़ी चलाओ, तुम मेरी क्या मदद करोगेे? आज जिस कार्यक्रम में हम जा रहे है वहां सारे षहर के मीडिया के अलावा सभी नामी-ग्रामी लोग आये होगे। ड्राईवर ने कहा कि मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा तो है नही, लेकिन इतना जरूर जानता हॅू कि हम हास्य दिवस के किसी समारोह में जा रहे है। परंतु यह तो कोई ऐसा विशय नही है जिसके बारे में इतनी चिंता की जाये। नेता जी ने अपना पसीना पोछते हुए उससे कहा कि तुम हास्य के बारे में क्या जानते हो? ड्राईवर ने कहा साहब जी गुस्ताखी माफ हो तो मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि चाहे हमारे जीवन में कैसे ही हालात क्यूं न आ जाये, हमें कभी भी अपना आत्मविष्वास नही खोना चाहिए। जब आप पूरे साहस के साथ किसी भी कार्य को करने का मन बना लेते है तो उस समय आप महान कार्य को भी आसानी से कर लेते है। नेता जी ने ड्राईवर से कहा कि यह फालतू के भाशण छोड़ अगर कुछ थोड़ा बहुत हास्य के बारे में बता सकता है तो वो बता दें।

ड्राईवर ने नेता जी की बात का जवाब देते हुए कहा कि हंसी मजाक का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि सदा खुष रहने वालों का मानसिक संतुलन कभी नही बिगड़ता। एक बात और, हंसने की विधि तो सबसे आसान योग है और इसीलिये खुष रहने वाले सदा आषावादी रहते है। खुषमिजाज लोगो के अपने सभी मिलने वालों से रिष्ते और गहरे हो जाते है। जहां तक मुमकिन हो सके हमें हर किसी को खुषी देने का प्रयास करते रहना चाहिये क्योंकि रूठने मनाने के साथ थोड़ा बहुत मुस्कराने से जीवन में बहुत लाभ मिलता है। लोग मन की षांति पाने के लिये न जाने कहां-कहां भटकते रहते है, लेकिन आज तक किसी को भी न तो काबा में और न ही कांषी में खुषी मिली है। खुषी तो हर किसी के मन में ही होती है लेकिन इसका आंनद सिर्फ वोहि लोग पा सकते है जो इस ज्ञान के गुणों को समझ कर जीवन में अपना लेते है।

ड्राईवर से इतना सब कुछ सुनने के बाद नेता जी का खोया हुआ आत्मविष्वास काफी हद तक फिर से वापिस लोट आया था। उन्होने समारोह में जाते ही अपना भाशण षुरू करते हुए वो सब कुछ कह डाला जो कुछ भी उन्होने अपने ड्राईवर से सुना था। नेता जी की हर बात पर सारा हाल तालियों से गूंज उठता। अपनी बात खत्म करने से पहले उन्होने कहा कि हास्य के साथ हमारे षहर का टैªफ्रिक जाॅम भी बहुत ही कमाल की चीज है। पास खड़े स्टेज सेैक्ट्री ने कहा नेता जी आज यहा हास्य दिवस मनाया जा रहा है, आपको केवल हास्य दिवस के बारे में बोलना है। नेता जी ने उसे चुप करवाते हुए कहा कि मैं जानता हॅू कि मुझे हास्य दिवस के मौके पर ही बोलने के लिये बुलाया गया हैं। परंतु आज मुझे इस सच्चाइ्र्र को स्वीकार करने मे कोई सन्देंह नही है कि हास्य जैसे महत्वपूर्ण विशय के बारे में जो कुछ मेैं अपने जीवन के 60 साल में नही सीख सका वो आज के टैªफ्रिक जाॅम की बदौलत अपने ड्राईवर से सीख पाया हॅू।

हास्य की गौरवमई महिमा से प्रभावित होकर जौली अंकल का खिला हुआ चेहरा तो यही ब्यां कर रहा है कि कोई भी व्यक्ति जीवन की तमाम परेषानियों को खत्म करने के लिये हंसने-हंसाने पर पूर्ण रूप से भरोसा कर सकता है। अब यदि हम अपने दिल और दिमाग को हास्य के माध्यम से षांत रखने की कोषिष करे ंतो जहां एक और हमारे मन में रचनामात्मक विचार पैदा होगे वही हमें साल में एक दिन हास्य दिवस मनाने की जरूरत नही पड़ेगी बल्कि फिर तो हमारा हर दिन ही हास्य दिवस बन जायेगा।

’’ हास्य दिवस ’’

नेता जी अपने दफतर में दाखिल होते ही बिना किसी को दुआ सलाम किए हुए प्रसाधन कक्ष की और दौड़ गये। पास बैठे एक सज्जन ने कहा कि नेता जी को क्या हुआ अभी तो घर से तरोताजा होकर आये है और आते ही फिर से प्रसाधन कक्ष में घुस गये है। उनके सेैक्ट्री ने कहा कि अभी दफतर में बैठते ही कई किस्म के ऊपर से प्रेषर आने षुरू हो जाते है, इसी के साथ यदि कोई दूसरे प्रेषर भी बन जाये तो नेता जी को काम करने मेें बहुत कठिनाई होती है, इसीलिये वो काम षुरू करने से पहले अपने आप को हल्का करके ही बैठते है। जैसे ही नेता जी वापिस अपनी सीट पर आकर बैठे तो उनके सेैक्ट्री ने कहा कि हास्य दिवस के मौके पर इलाके के कुछ लोग प्रसन्नता, मुस्कुराहट एवं हास्य पर अधारित एक अनूठे कार्यक्रम का आयोजन कर रहेे है। उनका अनुरोध है कि आप इस खास मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में आकर आम जनता को हास्य के बारे जानकारी देते हुए इसके गुणों से अवगत कराऐं। जिससे कि आम आदमी आज के इस तनाव भरे दौर में हंसी-खुषी या यूं कहिए कि लाफ्टर थरैपी का भरपूर फायदा उठा सके। हालिक नेता जी को इस विशय के बारे में कुछ अधिक ज्ञान तो था नही परंतु उन्होनेे चुनावों के मद्देनजर अपनी लोकप्रियता बढ़ाने की चाह में झट से न्योता स्वीकार करते हुए मुख्य अतिथि बनने की हामी भर दी।

अगले दिन जब नेता जी हास्य के इस कार्यक्रम के लिये तैयार होकर घर से निकले तो उन्हें ध्यान आया कि उनके सेैक्ट्री ने इस मौके के लिये भाशण तो लिख कर दिया ही नही। अब नेता जी दुनियां को हास्य के महत्व को बताने से पहले खुद ही बुरी तरह से तनाव में आ चुके थे। एक बार उनके मन में आया कि अपने किसी कर्मचारी से फोन पर हास्य के बारे में बात करके अच्छे से जानकारी ले ली जाये। लेकिन फिर नेता जी को लगा कि अपने ड्राईवर के सामने अगर वो किसी कर्मचारी से इस बारे में बात करते है तो यह गंवार ड्राईवर क्या समझेगा कि मैं हास्य में बारे में कुछ जानता ही नही। इसी के साथ सड़क पर टैªफ्रिक जाॅम के कारण उनकी परेषानी एवं घबराहट और अधिक बढ़ने लगी थी। जैसे-जैसे कार्यक्रम में पहुंचने के लिये देरी हो रही थी, नेता जी की टेंषन भी उसी तेजी से बढ़ती जा रही थी। उनके मन में बार-बार यही आ रहा था कि गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस आदि के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी तो है लेकिन यह हास्य दिवस क्या बला है? यह कब और किस ने षुरू किया, इस बारे में तो कभी कुछ देखने-सुनने को नही मिला। मुझे लगता है कि फादर डे, मदर डे और वैलेटाईन्स डे की तरह इसे भी जरूर किसी अग्रेंज ने षुरू किया होगा। मैने भी न जानें बिना सोचे-समझे इस कार्यक्रम के लिये हां करके मुसीबत मोल ले ली।

नेता जी का ड्राईवर कार में लगे हुए छोटे से षीषे में उनके चेहरे के हाव-भाव को अच्छे से समझ रहा था। उसने कहा सर, अगर आपकी इजाजत हो तो मैं इस बारे में कुछ कहूं। नेता जी ने कहा कि तुम ठीक से अपनी गाड़ी चलाओ, तुम मेरी क्या मदद करोगेे? आज जिस कार्यक्रम में हम जा रहे है वहां सारे षहर के मीडिया के अलावा सभी नामी-ग्रामी लोग आये होगे। ड्राईवर ने कहा कि मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा तो है नही, लेकिन इतना जरूर जानता हॅू कि हम हास्य दिवस के किसी समारोह में जा रहे है। परंतु यह तो कोई ऐसा विशय नही है जिसके बारे में इतनी चिंता की जाये। नेता जी ने अपना पसीना पोछते हुए उससे कहा कि तुम हास्य के बारे में क्या जानते हो? ड्राईवर ने कहा साहब जी गुस्ताखी माफ हो तो मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि चाहे हमारे जीवन में कैसे ही हालात क्यूं न आ जाये, हमें कभी भी अपना आत्मविष्वास नही खोना चाहिए। जब आप पूरे साहस के साथ किसी भी कार्य को करने का मन बना लेते है तो उस समय आप महान कार्य को भी आसानी से कर लेते है। नेता जी ने ड्राईवर से कहा कि यह फालतू के भाशण छोड़ अगर कुछ थोड़ा बहुत हास्य के बारे में बता सकता है तो वो बता दें।

ड्राईवर ने नेता जी की बात का जवाब देते हुए कहा कि हंसी मजाक का सबसे बड़ा फायदा तो यह है कि सदा खुष रहने वालों का मानसिक संतुलन कभी नही बिगड़ता। एक बात और, हंसने की विधि तो सबसे आसान योग है और इसीलिये खुष रहने वाले सदा आषावादी रहते है। खुषमिजाज लोगो के अपने सभी मिलने वालों से रिष्ते और गहरे हो जाते है। जहां तक मुमकिन हो सके हमें हर किसी को खुषी देने का प्रयास करते रहना चाहिये क्योंकि रूठने मनाने के साथ थोड़ा बहुत मुस्कराने से जीवन में बहुत लाभ मिलता है। लोग मन की षांति पाने के लिये न जाने कहां-कहां भटकते रहते है, लेकिन आज तक किसी को भी न तो काबा में और न ही कांषी में खुषी मिली है। खुषी तो हर किसी के मन में ही होती है लेकिन इसका आंनद सिर्फ वोहि लोग पा सकते है जो इस ज्ञान के गुणों को समझ कर जीवन में अपना लेते है।

ड्राईवर से इतना सब कुछ सुनने के बाद नेता जी का खोया हुआ आत्मविष्वास काफी हद तक फिर से वापिस लोट आया था। उन्होने समारोह में जाते ही अपना भाशण षुरू करते हुए वो सब कुछ कह डाला जो कुछ भी उन्होने अपने ड्राईवर से सुना था। नेता जी की हर बात पर सारा हाल तालियों से गूंज उठता। अपनी बात खत्म करने से पहले उन्होने कहा कि हास्य के साथ हमारे षहर का टैªफ्रिक जाॅम भी बहुत ही कमाल की चीज है। पास खड़े स्टेज सेैक्ट्री ने कहा नेता जी आज यहा हास्य दिवस मनाया जा रहा है, आपको केवल हास्य दिवस के बारे में बोलना है। नेता जी ने उसे चुप करवाते हुए कहा कि मैं जानता हॅू कि मुझे हास्य दिवस के मौके पर ही बोलने के लिये बुलाया गया हैं। परंतु आज मुझे इस सच्चाइ्र्र को स्वीकार करने मे कोई सन्देंह नही है कि हास्य जैसे महत्वपूर्ण विशय के बारे में जो कुछ मेैं अपने जीवन के 60 साल में नही सीख सका वो आज के टैªफ्रिक जाॅम की बदौलत अपने ड्राईवर से सीख पाया हॅू।

हास्य की गौरवमई महिमा से प्रभावित होकर जौली अंकल का खिला हुआ चेहरा तो यही ब्यां कर रहा है कि कोई भी व्यक्ति जीवन की तमाम परेषानियों को खत्म करने के लिये हंसने-हंसाने पर पूर्ण रूप से भरोसा कर सकता है। अब यदि हम अपने दिल और दिमाग को हास्य के माध्यम से षांत रखने की कोषिष करे ंतो जहां एक और हमारे मन में रचनामात्मक विचार पैदा होगे वही हमें साल में एक दिन हास्य दिवस मनाने की जरूरत नही पड़ेगी बल्कि फिर तो हमारा हर दिन ही हास्य दिवस बन जायेगा।