Jolly Uncle - Motivational Writer

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Sunday, November 27, 2011

आवाज दे तू कहाँ है
एक दिन वीरू अपने कुछ दोस्तों के साथ बैठ कर दारू पी रहा था. पास से गुजरते हुए मोहल्ले के एक बुजर्ग सज्जन ने कहा की बेटा में तुम्हे पहले भी कही बार कह चुका हूँ की दारू पीना बहुत बुरी बात होती है. तुम मेरी बात मानो या न मानो लेकिन तुम बिलकुल गलत रास्ते पर जा रहे हो. इस तरह बहुत जल्द तुम अपने परिवार के साथ-साथ भगवान से भी दूर हो जाओगे. यदि अब भी तुम ने अपनी आदत न बदली तो भगवान से मिलना तो दूर तुम सारी उम्र उसके कभी दर्शन भी नहीं कर पाओगे. जैसा की अक्सर होता है की दारू पीने वाले बिना सिर पैर की बातो पर बहस करने लगते है. इसी तरह वीरू भी उस बुजर्ग के साथ इस विषय को लेकर उलझगया की में तुम्हारी यह फालतू की किसी बात को नहीं मानता, क्यू की भगवान इस दुनिया में है ही नहीं. क्या तुम मुझे किसी भी एक ऐसे आदमी से मिलवा सकते हो जिस ने भगवान को अपने जीवन में देखा हो? उस बुजर्ग ने वीरू से कहा की क्या तुम यह साबित कर सकते हो यदि भगवान नहीं है तो इतनी बड़ी दुनिया खुद ब खुद कैसे बन गयी? वीरू ने दारू का घूँट पीते हुए कहा की में यह तो नहीं जानता की इस दुनिया को किस ने और कैसे बनाया लेकिन में यह सिद्ध कर सकता हूँ की भगवान नाम की कोई चीज़ इस दुनिया में मौजूद नहीं है. वीरू के इस दावे को सुन कर एक बार तो वोह बजुर्ग भी सन्न रह गए. एक लंबी सी सांस लेने के बाद उस बजुर्ग ने कहा की तुम्हारे पास ऐसा कौन सा विज्ञान है जिस के दम पर तुम यह इतना बड़ा दावा कर रहे हो.

वीरू ने कहा जब कुछ दिन पहले भी हमारी इस मुद्दे पर बहस हुई थी तो आप ने कहा था की भगवान तो कण-कण में रहता है. मैंने उसी दिन एक पत्र भगवान के नाम लिख भेजा था. मैंने उस चिठ्ठी में भगवान को लिखा था की ऐह प्यारे भगवान जी यदि आप इस दुनिया में कही भी रहते हो तो एक बार हमारे मोहल्ले में ज़रूर आओ ताकि हम लोग यह फैसला कर सके की तुम सच में हो या नहीं. जैसा आप ने कहा था मैंने यह खत ईश्वर सर्वशक्तिमान सर्वत्र व्यापत के नाम से डाक में भेज दिया था. वैसे तो अब तक में भी इस बात को पूरी तरह से भूल चुका था लेकिन कल ही अचानक भगवान जी की चिठ्ठी डाकखाने वालों ने यह लिख कर वापिस भेज दी की इस पत्र को पाने वाला कोई नहीं मिला इसलिए भेजने वाले को वापिस किया जाता है. इस चिठ्ठी के वापिस आने से पहले तो मेरे मन में भी कई बार ग़लतफहमी होती थी की शायद भगवान दुनिया के किसी कोने में रहते होगे, परन्तु अब तो हमारी सरकार ने भी मेरी बात को मानते हुए इस पर अपनी मोहर लगा कर यह प्रमाणित कर दिया है की भगवान इस जगत में कही नहीं रहता.

वीरू की सारी दलीले सुनने के बाद यह बजुर्ग एक बार तो बुरी तरह से चकरा गए की इस नास्तिक को कैसे बताया जाये की जिस ने सूरज, चाँद और सारी दुनिया बनाई है जब तक हम उसके करीब नहीं जायेगे तो हम उसके बारे में कैसे जान सकते है. इतना तो हर कोई जानता है की ईश्वर का न कोई रंग है, न कोई रूप और न ही उस का कोई आकार होता है. मुश्किल की घडी में जब दिल के किसी कोने से भगवान के होने का हल्का सा भी एहसास होता है तो बड़ा ही सकून मिलता है. इस बात से हम कैसे इंकार कर सकते है की जब हमारे साथ कोई नहीं होता उस समय केवल भगवान ही हमारा साथ देते है. जिन लोगो ने इस चीज़ को अनुभव किया है उन लोगो का यकीन देखने लायक होता है. यह सारे तर्क सुनने के बाद वीरू ने बजुर्ग महाशय का मजाक उड़ाते हुए कहा की आप की इन सारी बातों से भगवान की मौजदूगी तो साबित नहीं होती.

बजुर्ग महाशय ने सोचा की इस अक्कल के अंधे से और अधिक बहस क्या की जाये की क्युकि जिस हालत में यह है उसमे तो यह खुद को भी नहीं पहचान पा रहा तो ऐसे में यह भगवान को क्या समझेगा. यही बात सोच कर वोह वहाँ से उठ कर उसी इमारत की छत पर चले गए. वीरू को थोड़ी हैरानगी हुई की यह आदमी इस समय रात के अँधेरे में छत पर क्या करने गया होगा. दारू का गिलास वोही छोड कर वीरू ने इस बुजर्ग से पुछा की इतने अँधेरे में यहाँ क्या कर रहे हो? बुजर्ग ने जवाब दिया की मेरा ऊंट गुम गया है उसे ढूँढने आया हूँ. वीरू ने कहा की कही आपका सिर तो नहीं चकरा गया जो ऊंट को इस छत पर ढूँढ रहे हो. बजुर्ग ने वीरू से कहा यदि इतनी बात समझते हो तो फिर यह भी ज़रूर जानते होगे की एक बीज से अच्छा पेड बनने और उस पर फल फूल पाने के लिए बीज को अपना अस्तित्व खत्म करके मिट्टी से प्रीत करनी पड़ती है. जब तक कोई बीज अपने अंदर का अंहकार खत्म करके पूर्ण रूप से खुद को मिट्टी में नहीं मिलाता उस समय तक वोह एक अच्छा पेड बनने की कल्पना भी नहीं कर सकता.

वीरू के कंधे पर हाथ रख कर बजुर्ग ने कहा मेरे भाई जब तक हमारी दृष्टि में खोट होता है उस समय तक हमें सारी दुनिया में ही खोट दिखाई देता है. ऐसी सोच रखने वाले इंसान को कोई कैसे समझा सकता है की भगवान में विश्वास तन से नहीं मन से अधिक होता है. पूजा पाठ, इबादत का आनंद भी तभी मिलता है जब हमारा मन हमारे साथ होता है. जब कुछ देर बाद वीरू का नशा उतरा तो वोह इन बजुर्ग सज्जन के पास माफ़ी मांगने के लिए आया. माफ़ी मांगने के साथ वीरू ने कहा की एक बात तो समझा दो की मुझ जैसे अनजान लोग भगवान को कैसे पा सकते है? बजुर्ग सज्जन ने कहा की उसको पाने का सबसे आसान तरीका है अच्छी संगत करना. इससे यह फायदा होता है की हमारी सोच भी अच्छी बनने लगती है. इसका एक उदारण यह है की जिस प्रकार पानी की एक बूँद भी कमल के फूल के ऊपर गिरते ही साधारण पानी की जगह एक मोती की तरह दिखाई देने लगती है. बजुर्ग सज्जन की बात कहने के तरीके से प्रभावित होकर जोली अंकल यही दुआ करते है की ऐह भगवान मेरे जैसे लाखो-करोडों नासमझ लोगो को सही राह पर लाने के लिए तू ही आवाज़ दे कर बता की तू कहाँ है.

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